आई०सी०एस०ई० बोर्ड परीक्षा में विभिन्न प्रकार के विषयों पर प्रस्ताव लिखने के लिए आते हैं। ये प्रस्ताव अधिकतर विचारात्मक. विवरणात्मक,भावात्मक तथा वर्णनात्मक विषयों पर होते हैं जिनके द्वारा विद्यार्थियों की भाषा, अनुभूति, कल्पनाशक्ति औए ज्ञान की परीक्षा होती है।
प्रस्ताव के अंग
प्रस्ताव के तीन अंग होते हैं-
१.भूमिका - इसमें प्रस्ताव के विषय का परिचय दिया जाता है। इसे संक्षिप्त व रोचक होना चाहिए।
२.विस्तार - इसे प्रस्ताव का मध्यभाग भी कहा जाता है। इसमें पूरे प्रस्ताव को विस्तार से लिखा जाता है। इसमें क्रमबद्धता, व्यवस्था और मौलिकता होनी चाहिए।
३.उपसंहार - यह प्रस्ताव का अंतिम भाग है जिसमें प्रस्ताव में वर्णित तथ्यों का संक्षेप में निष्कर्ष बताया जाता है।
प्रस्ताव के तीन अंग होते हैं-
१.भूमिका - इसमें प्रस्ताव के विषय का परिचय दिया जाता है। इसे संक्षिप्त व रोचक होना चाहिए।
२.विस्तार - इसे प्रस्ताव का मध्यभाग भी कहा जाता है। इसमें पूरे प्रस्ताव को विस्तार से लिखा जाता है। इसमें क्रमबद्धता, व्यवस्था और मौलिकता होनी चाहिए।
३.उपसंहार - यह प्रस्ताव का अंतिम भाग है जिसमें प्रस्ताव में वर्णित तथ्यों का संक्षेप में निष्कर्ष बताया जाता है।
प्रस्ताव के भेद
प्रस्ताव के मुख्य चार भेद होते हैं-
१.वर्णनात्मक - इस प्रकार के प्रस्ताव में किसी स्थान, त्योहारों, प्राकृतिक दृश्यों, पर्य़टन स्थलों यात्रा, मेला, घटना आदि का वर्णन बड़ी कलात्मकता से किया जाता है।
२.विवरणात्मक - इस प्रकार के प्रस्ताव में किसी विशेष घटना, संस्मरण, काल्पनिक घटनाओं आदि का वर्णन किया जाता है।
३.भावात्मक - ऐसे प्रस्ताव में मन के किसी भाव का भावपूर्ण वर्णन किया जाता है। जैसे- ईर्ष्या,, निन्दा, मित्रता, क्रोध, प्रेम आदि।
४.विचारात्मक - इन प्रस्ताव में विचारों और तर्कों की प्रधानता रहती है। साहित्य, समाज, धर्म, दर्शन आदि विषयों का वर्णन लेखक अपने दृष्टिकोण से करता है।
अंक-नियोजन
चित्र - लेखन
चित्र - लेखन में किसी भी चित्र का ध्यानपूर्वक बारीकी से अध्ययन करके उसमें परिलक्षित किसी घटना, कहानी, अनुभव या कल्पना को प्रस्ताव का रूप दिया जाता है।
१.वर्णनात्मक - इस प्रकार के प्रस्ताव में किसी स्थान, त्योहारों, प्राकृतिक दृश्यों, पर्य़टन स्थलों यात्रा, मेला, घटना आदि का वर्णन बड़ी कलात्मकता से किया जाता है।
२.विवरणात्मक - इस प्रकार के प्रस्ताव में किसी विशेष घटना, संस्मरण, काल्पनिक घटनाओं आदि का वर्णन किया जाता है।
३.भावात्मक - ऐसे प्रस्ताव में मन के किसी भाव का भावपूर्ण वर्णन किया जाता है। जैसे- ईर्ष्या,, निन्दा, मित्रता, क्रोध, प्रेम आदि।
४.विचारात्मक - इन प्रस्ताव में विचारों और तर्कों की प्रधानता रहती है। साहित्य, समाज, धर्म, दर्शन आदि विषयों का वर्णन लेखक अपने दृष्टिकोण से करता है।
अंक-नियोजन
चित्र - लेखन
चित्र - लेखन में किसी भी चित्र का ध्यानपूर्वक बारीकी से अध्ययन करके उसमें परिलक्षित किसी घटना, कहानी, अनुभव या कल्पना को प्रस्ताव का रूप दिया जाता है।
चित्रों को ठीक से समझने के लिए विद्यार्थियों को निम्नलिखित
बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(क) बड़े धैर्य से चित्र को देखकर यह निश्चित करना चाहिए कि
चित्र का विषय क्या है।
(ख) चित्र में दिखाए गए व्यक्तियों की संख्या, प्रत्येक की
मुद्रा, वेश-भूषा तथा आयु आदि का पूरा ध्यान देना चाहिए। उनके चेहरों को
ध्यान से देखकर उनके भावों को समझने का प्रयास करना चाहिए।
(ग) चित्र में चित्रित पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, प्राकृतिक
दृश्यों को भी सूक्ष्म दृष्टि से देखना चाहिए।
(घ) ऊपर बताई गई सभी बातों को क्रमबद्ध करके लिख लेना चाहिए।
(ङ) चित्र लेखन में अपने विचारों का प्रयोग करें, जिसका संबंध
चित्र से होना चाहिए।
(च) चित्र-लेखन की भाषा सहज और सुबोध होनी चाहिए।
2008 से लेकर 2014 तक आई०सी०एस०ई० ( ICSE) बोर्ड परीक्षा में आए चित्र-लेखन निम्नलिखित हैं -
पत्र भेजने वाले (प्रेषक) का पता
दिनांक
_____________________________________
_____________________________________
_____________________________________
संबोधन
(प्रिय, आदरणीय, पूजनीय आदि)
_____________________________________
अभिवादन
(स्नेह, आशीर्वाद, चरणस्पर्श आदि)
_____________________________________
विषयवस्तु (तीन या चार अनुच्छेद में)
_______________________________________________________
_______________________________________________________
_______________________________________________________
_______________________________________________________
संबंधसूचक शब्द
(आपका / आपकी पुत्र / पुत्री, भतीजा / भतीजी, पोता / पोती आदि और नाम)
पत्र भेजने वाले (प्रेषक) का पता
दिनांक
_______________________________
_______________________________
_______________________________
सेवा में,
पत्र-प्राप्तक का पद-परिचय
एवं पता
_______________________________
_______________________________
_______________________________
_______________________________
विषय: _______________________________________________________
संबोधन (महोदय / महोदया, श्रीमान / श्रीमती)
_______________________________
विषयवस्तु ( दो या तीन अनुच्छेद में)
(अपना परिचय, समस्या, कारण और समाधान)
_______________________________________________________
_______________________________________________________
_______________________________________________________
_______________________________________________________
_______________________________________________________
समापन (स्वनिर्देश / आत्मनिर्देश)
(भवदीय / भवदीया, आपका आज्ञाकारी / आपकी आज्ञाकारिणी और नाम)
(कक्षा, वर्ग और अनुक्रमांक संख्या, यदि हो)
2008 से लेकर 2014 तक आई०सी०एस०ई० ( ICSE) बोर्ड परीक्षा में आए चित्र-लेखन निम्नलिखित हैं -
अंक नियोजन
पत्र-लेखन
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अपने जीवन को सरस और सफल बनाने के लिए वह अपने परिवार, समाज, संबंधियों, मित्रों तथा सभी परिचितों से संबंध बनाकर रखता है। पत्र-व्यवहार न केवल परिचितों के साथ बल्कि अपरिचितों के साथ भी विचार-विनिमय बनाए रखने में सहायक होता है। पत्रों के माध्यम से हम अपने इष्ट मित्रों तथा आत्मीय-जनों से विचारों का आदान-प्रदान सहजता से कर सकते हैं। पत्र न केवल व्यक्तिगत संबंधों में, बल्कि व्यापार और व्यवसाय में भी मनुष्य के लिए सहायक सिद्ध होते हैं।
पत्र के प्रकार
औपचारिक पत्र
ये पत्र अपने क्षेत्र में व्याप्त परेशानियों की चर्चा करने, आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
उच्चाधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने, सरकारी कर्मचारियों
को सूचित करने, समाचार-पत्र के संपादक को, प्रधानाचार्य आदि को
लिखे जाते हैं।
औपचारिक पत्र को भी दो वर्गों में
बाँट सकते हैं -
(क)
आवेदन-पत्र (ख) व्यावसायिक-पत्र/अधिकारिक-पत्र।
अनौपचारिक पत्र
ये पत्र दूर रहने वाले संबंधियों, मित्रों एवं परिचितों को
लिखे जाते
हैं। ऐसे पत्रों में भावनाओं,
अनुभूतियों तथा अपनत्व का पुट अवश्य होना चाहिए।
अच्छे पत्र की विशेषताएँ –
पत्र
संक्षिप्त और अर्थपूर्ण होना चाहिए।
पत्र
हमेशा स्वच्छता से लिखा जाना चाहिए।
पत्र
की भाषा-शुद्ध, सहज एवं स्पष्ट होनी चाहिए।
किसी
भी श्रेणी का पत्र हो, पत्र में दिनांक अवश्य लिखना चाहिए।
अशिष्ट,
भद्दे एवं अश्लील शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
सरकारी
पत्र हमेशा संक्षिप्त होना चाहिए।
पारिवारिक
पत्रों में आत्मीयता तथा अपनत्व का भाव होना चाहिए।
शिकायती
पत्र की भाषा में विवेक और संयम का भाव होना
चाहिए।
पत्र
में अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए।
दोनों प्रकार के पत्र पृष्ठ की बायीं तरफ से लिखना आवश्यक है।
दोनों पत्र में संबोधन
और संबंध जरूरी है।
पत्र का प्रारूप
अनौपचारिक पत्र
दिनांक
_____________________________________
_____________________________________
_____________________________________
संबोधन
(प्रिय, आदरणीय, पूजनीय आदि)
_____________________________________
अभिवादन
(स्नेह, आशीर्वाद, चरणस्पर्श आदि)
_____________________________________
विषयवस्तु (तीन या चार अनुच्छेद में)
_______________________________________________________
_______________________________________________________
_______________________________________________________
_______________________________________________________
संबंधसूचक शब्द
(आपका / आपकी पुत्र / पुत्री, भतीजा / भतीजी, पोता / पोती आदि और नाम)
औपचारिक पत्र
पत्र भेजने वाले (प्रेषक) का पता
दिनांक
_______________________________
_______________________________
_______________________________
सेवा में,
पत्र-प्राप्तक का पद-परिचय
एवं पता
_______________________________
_______________________________
_______________________________
_______________________________
विषय: _______________________________________________________
संबोधन (महोदय / महोदया, श्रीमान / श्रीमती)
_______________________________
विषयवस्तु ( दो या तीन अनुच्छेद में)
(अपना परिचय, समस्या, कारण और समाधान)
_______________________________________________________
_______________________________________________________
_______________________________________________________
_______________________________________________________
_______________________________________________________
समापन (स्वनिर्देश / आत्मनिर्देश)
(भवदीय / भवदीया, आपका आज्ञाकारी / आपकी आज्ञाकारिणी और नाम)
(कक्षा, वर्ग और अनुक्रमांक संख्या, यदि हो)
Thankyou sir it is very helpful for the student
जवाब देंहटाएंआपने बहुत ही अच्छेे तरीके से हमे समझाया इसके लिए हम आपके आभारी रहेगें, आपका धन्यवााद
जवाब देंहटाएंआपने बहुत ही अच्छेे तरीके से हमे समझाया इसके लिए हम आपके आभारी रहेगें, आपका धन्यवााद
जवाब देंहटाएंsir , please inform me that good handwritng is compulsory in hindi or not.
जवाब देंहटाएंand secondly also inform that what are some good hindi composition writing tips.
also what should be required lenght for writing ans in hindi literature.
or is there any link in marks of eassy with letter
its very very very very very very very very very urjent .
जवाब देंहटाएंhope you will understand my situation.
indeed , you doing a noble deeds for icse student.
i will pray to god for your blessing from the core of my heart.
are you pleased or not .
if , yes then plese execute my need as soon as possible.
i will be greatly indebted to you
useless site , if nobody is there to give a response then what is the meaning of creating such website
जवाब देंहटाएंविलंब के लिए खेद प्रकट करता हूँ। कृपया visha.saumitra@gmail.com पर अपने प्रश्न भेजें।
हटाएंमुझे यह लिंक बहुत अच्छा लगा। मेरी हिंदी टीचर Mrs. Puspanjali Chaterjee ने मुझे इस लिंक के बारे में जानकारी दी। मैं उन्हें इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद कहती हूँ। मेरी अध्यापिका के नोट्स के साथ साथ इस लिंक के मदद से मैं ICSE में अवश्य ही अच्छे अंक प्राप्त करूंगी। मैं अपनी अध्यापिका की आभारी हूँ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,
सौमिता बासु।