मैं अपने सभी विद्यार्थियों के नए शैक्षणिक-सत्र 2016-17 की कामयाबी के लिए, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के प्रसिद्ध कवि केदारनाथ सिंह की एक कविता - "हाथ" का ज़िक्र करना चाहूँगा। यह कविता मेरी पसंदीदा कविताओं में से एक है क्योंकि जम रही मानवीय संवेदनाओं के इस दौर में इनसानी रिश्तों की गर्माहट कम होती जा रही है और इनसान के बर्फ़ बनने की प्रक्रिया ने ज़ोर पकड़ लिया है। इन कठिन परिस्थितियों में यह बहुत जरूरी है कि हम एक-दूसरे का हाथ थामे और इस एहसास को बनाए रखे कि हम साथ- साथ हैं, हम पास-पास हैं...
उसका हाथ
अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा
दुनिया को
हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए।