बुधवार, 30 मई 2018

सूक्ष्म शिक्षण पर कार्यशाला का संचालन




पश्चिम बंगाल प्रथमिक बोर्ड द्‌वारा आयोजित  द्‌वि-वार्षिक डी.एल.एड (एन.सी.टी.ई. द्‌वारा अनुमोदित) कार्यक्रम विभिन्न प्राथमिक विद्‌यालयों में कार्यरत अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए प्रारंभ किया गया है। इस प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों को शिक्षण-अधिगम-प्रक्रिया (Teaching learning process) के विभिन्न आयामों की जानकारी दी जाती है जिसका प्रयोग शिक्षक अपनी कक्षाओं में करते हैं और अध्यापन-कार्य को सुचारू रूप से संचालित करते हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने शिक्षाविदों तथा एन.सी.टी.ई. और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्‌यालय के प्रतिनिधियों के साझा प्रयास से डी.एल.एड का पाठ्यक्रम तैयार किया है जिसके अंतर्गत पाँच तात्विक प्रश्नपत्रों, साथ मेथड प्रश्नपत्र और तीन प्रायोगिक प्रश्नपत्रों का निर्माण किया गया है। अलग-अलग वर्ष के पाठ्यक्रम के अनुसार प्रत्येक प्रश्नपत्र के लिए पाठ्य सामग्रियाँ तैयार की गई हैं तथा एन.सी.टी.ई. द्‌वारा अनुमोदित भी है।
मैं, हिन्दी भाषा-विशेषज्ञ के रूप २०१३ से ही इस कार्यक्रम से जुड़ा हुआ हूँ और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षकों के कार्यशालाओं का संचालन कर रहा हूँ। मैंने प्रथम वर्ष छह दिवसीय दो कार्यशालाओं का संचालन करते हुए शिक्षण से जुड़े अलग-अलग अनुभव प्राप्त किए। मैंने शिक्षकों को बोर्ड द्‌वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रम से अवगत करवाया और मातृभाषा शिक्षण की विविध पद्‌धति, पाठ-योजना, सूक्ष्म पाठ-योजना, सूक्ष्म-शिक्षण की धारणा, मातृभाषा अध्ययन में दृष्य-श्रव्य माध्यमों का प्रयोग, मूल्यांकन-पद्‌धति आदि कई विषयों पर लम्बी चर्चाओं द्‌वारा प्रशिक्षण-कार्यक्रम का संचालन किया।
डी.एल.एड कार्यक्रम के अंतिम भाग में शिक्षकों को सूक्ष्म-शिक्षण पर शिक्षण-अभ्यास करवाया गया जिसके अंतर्गत प्रत्येक शिक्षक को सूक्ष्म पाठ योजना तैयार कर छह से आठ मिनट की कक्षा का संचालन करना पड़ा। इस तरह शिक्षकों ने अध्यापन संबंधी आधुनिक तकनीकों की बारीकियों को भलीभाँति समझा और उसका प्रयोग भी किया।
इस वर्ष शिक्षकों द्‌वारा २६ मई से २९ मई, २०१८ तक सूक्ष्म शिक्षण अभ्यास कक्षा का आयोजन हेस्टिंग हाउस के सी.डब्ल्यू.पी.टी.टी.आई. में करवाया गया जहाँ लगभग सौ शिक्षकों ने कार्यशाला में भाग लिया। चार दिवसीय प्रशिक्षण कक्षा में शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। शिक्षकों ने अत्यंत उत्साह के साथ सूक्ष्म-शिक्षण पर आधारित शिक्षण अभ्यास कक्षाओं का संचालन किया और रंग-बिरंगे TLM (शिक्षण-अधिगम सामग्री) तैयार किए जिनके प्रयोग से कक्षा-अध्यापन का कार्य अत्यंत रोचक और ज्ञानवद्‌र्धक हो जाता है।


प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी मैं कई शिक्षकों से मिला जिसमें हर उम्र की मौजूदगी थी, किन्तु युवाओं की भागीदारी और उनका जोश एक बेहतर शिक्षण माहौल की उम्मीद जगा रहा है। आधारिक संरचना और व्यवस्था की कमी के बावज़ूद इन युवा शिक्षकों में अपने विद्‌यार्थियों के भविष्य के प्रति गहरी चिन्ता और उनके लिए मानवीय, संवेदनशील और लोकतांत्रिक शैक्षणिक माहौल बनाने की गहरी बेचैनी मुझे अत्यंत सुखद लगी। कार्यशाला का समापन मैंने मदन कश्यप की एक कविता से की –

अभी भी बचे हैं
कुछ आखिरी बेचैन शब्द
जिनसे शुरू की जा सकती है कविता
बची हुई हैं
कुछ उष्ण साँसे
जहाँ से संभव हो सकता है जीवन
गर्म राख़ कुरेदो
तो मिल जाएगी वह अंतिम चिंगारी
जिससे सुलगाई जा सकती है फिर से आग।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Back to Top