कार्यपत्र-2019




वाक्य शुद्‌ध कीजिए





अभ्यास के लिए निम्नलिखित कार्यपत्र को डाउनलोड करके  हल कीजिए।



 (1)





 कार्यपत्र - 2
 

निम्नलिखित अधूरे औपचारिक-पत्र को पूरा कीजिए-

आप अपने गाँव में छुट्टियाँ बिताने के बाद भयानक बाढ़ के कारण निर्धारित समय पर अपने विद्यालय में नहीं पहुँच सके हैं विद्यालय के प्रधानाचार्या को इस बात की जानकारी देते हुए छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए


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दिनांक________________

सेवा में,
प्रधानाचार्या
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विषय:_________________________________________________

महोदया,
            मैं,______________________________, आपके विद्यालय की कक्षा नौ ’ ___________________________________________________________________

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मूसलाधार बारिश शुरू हो गई और हमारा गाँव बाढ़_____________________________
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_______________________________ ______________आस-पास के क्षेत्रों में पाँच से
छ्ह फुट पानी_________________________________________________________
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जान माल की भारी क्षति हुई है गाँव का बाकी देश से संपर्क___________________
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   अत: आपसे सविनय निवेदन है कि______________________________________
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 सधन्यवाद

आपका ___________________
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कार्यपत्र - 3


कार्यपत्र - 4

नीचे लिखे गद्‌यांश को पढ़कर उसके नीचे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में दीजिए।

एक दिन राजा शांतनु नदी के किनारे आखेट के लिए गए। अचानक उनकी नाक में हवा के साथ एक सुगंध गई। सुगंध बड़ी अद्‌भुत थी। शांतनु ने जब उस सुगंध के बारे में पता लगाया तो उन्हें ज्ञात हुआ कि वह सुगंध मछुओं के राजा की परम रूपवती पुत्री सत्यवती के शरीर की है। शांतनु सत्यवती पर मुग्ध हो गए। उन्होंने उसके साथ विवाह करने का निश्चय किया।
शांतनु मछुवे के पास गए। उन्होंने उससे प्रार्थना की कि वह अपनी पुत्री का विवाह उनके साथ कर दे। मछुवे ने उत्तर दिया कि वह उनके साथ अपनी पुत्री का विवाह तो कर सकता है, किन्तु शर्त यह है कि उनके पश्चात्‌ उसका (मछुवे) का नाती ही राजसिंहासन पर बैठेगा।
शांतनु ने मछुवे की शर्त को स्वीकार नहीं किया। वे राजमहल लौट आए। किन्तु वे सत्यवती को भूल नहीं सके। वे धीरे-धीरे उसके प्रेम में घुलने लगे। उन्होंने उसके प्रेम में खाना-पीना छोड़ दिया और न ही रात को सोते थे।
शांतनु के शरीर का बुरा हाल देखकर उनके पुत्र देवव्रत अत्यधिक चिंतित हुए। उन्होंने अपने पिता से कारण पूछा, किन्तु शांतनु ने कुछ नहीं बताया। उनके न बताने पर भी देवव्रत ने वास्तविकता का पता लगा लिया। देवव्रत को जब अपने पिता की बीमारी का कारण पता चला तो वे मंत्रियों के साथ मछुवे के पास गए। उन्होंने मछुवे से प्रार्थना की कि वह अपनी पुत्री का विवाह उसके पिता के साथ कर दे।
मछुवे ने उत्तर दिया, "मैं क्या, देवराज इंद्र को भी शांतनु के साथ अपनी पुत्री का विवाह करने में संकोच नहीं होगा। लेकिन मैं इस बात को कदापि नहीं मान सकता कि उनके पश्चात्‌ मेरा नाती राजसिंहासन पर न बैठे।"
देवव्रत शीघ्र ही बोल उठे, "ऐसा ही होगा, मैं आपको वचन देता हूँ कि मैं राजसिंहासन पर न बैठूँगा। आपकी पुत्री से जो बालक पैदा होगा, वही राजसिंहासन पर बैठेगा।"
पर मछुवे को देवव्रत के कथन से संतोष नहीं हुआ। उसने पुन: कहा, "मैं मानता हूँ कि आप राजसिंहासन पर नहीं बैठेंगे पर आप विवाह तो करेंगे ही। आपकी संतान भी पैदा होंगी तो वे मेरे नाती से राज्य छीन ले तो?"
देवव्रत ने बिना किसी हिचक के दोनों हाथ ऊपर उठाकर कहा, "आप बिल्कुल चिंता न करें। मैं आजीवन ब्रह्‌मचारी रहूँगा। पृथ्वी भले ही अपने धैर्य को, सूर्य भले ही अपने तेज को और चंद्रमा भले ही अपनी शीतलता को छोड़ दे, पर मैं अपने वचन को न छोड़ूँगा। मैं विवाह कभी करूँगा ही नहीं।" फिर तो मछुओं का राजा शांतनु के साथ अपनी पुत्री का विवाह करने को तैयार हो गया।

(i)   वह अद्‌भुत सुगंघ कहाँ से आ रही थी?
(ii)  शांतनु ने मछुवे से क्या प्रार्थना की और उसने क्या शर्त रखी?
(iii) देवव्रत अपने पिता के कारण क्यों चिंतित हो गए?
(iv) मछुवे के किस कथन पर देवव्रत ने दूसरा वचन लिया?
(v)  देवव्रत का दूसरा वचन क्या था?

कार्यपत्र - 4








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