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रविवार, 19 अप्रैल 2015

मेरी बात


 
यह ब्लॉग एक प्रयास है जिसका उद्देश्य शिक्षक और विद्यार्थियों के मध्य एक सेतु बनाकर, कक्षा-शिक्षण को आधुनिक तकनीक के उपयोग द्वारा समाज और संस्कृति से जोड़ना है, जहाँ प्रत्येक विद्यार्थी अपने विचारों को एक-दूसरे से साझा कर सके
उचित शिक्षण से विद्यार्थी में सकारात्मक सोच, समानता, लोकतांत्रिक दृष्टिकोण तथा मानवीय मूल्यों का संरक्षण करते हुए उनके चरित्र को सुदृढ़ बनाया जा सकता हैइस तरह वह एक आदर्शपूर्ण मानवीय समाज की स्थापना में अपना योगदान देता है और अपने ज्ञान का परिमार्जन करता है
ज्ञान हमें सवाल पूछने की हिम्मत, चुनौतियों से निपटने का जज़्बा और नई चीज़ों को खोजने की प्रेरणा देता है।
एक विद्यार्थी जीवन में तभी सफलता प्राप्त कर सकता है जब वह अपने सपनों का पीछा करे और पीछा करते-करते आगे बढ़े और इस यात्रा में एक शिक्षक ही उसका सहयात्री हो सकता है

 
आज के शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सूचना और तकनीक का इस्तेमाल बढ़ गया है। पुस्तक जहाँ पहले ज्ञान का प्रमाणिक स्रोत और संसाधन हुआ करता था आज वहाँ तकनीक के कई साधन मौजूद हैं। आज विद्‌यार्थी किताबों की श्याम-श्वेत दुनिया से बाहर निकलकर सूचना और तकनीक की रंग-बिरंगी दुनिया में पहुँच चुका है, जहाँ माउस के एक क्लिक पर उसे दुनिया भर की जानकारी दृश्य रूप में प्राप्त हो जाती है। एक शिक्षक होने के नाते यह हमारी ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि हम समय के साथ खुद को ढालें और शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को सुचारू रूप से गतिशील बनाए रखने के लिए आधुनिक तकनीक के साधनों का भरपूर प्रयोग करें।
मैंने अपने व्यक्तिगत अनुभव से जाना है कि यदि आप अपनी कक्षा में सूचना और तकनीक का इस्तेमाल करते हुए विद्‌यार्थी-केन्द्रित शिक्षण को प्रोत्साहित करते हैं तो आपकी कक्षा में शैक्षणिक वातावरण का विकास होता है और विद्‌यार्थी अपने अध्ययन में रुचि लेते हैं।